Sunday, June 13, 2010

ममता का स्वाद



आग की लपटों के बीच
गुब्बारे की तरह फूलती रोटियां
और उस आंच की तपन से
लाल होता माँ का चेहरा
दोनों ही आग में तपकर निखरे हैं
दोनों ही चूमने लायक है
क्योंकि रोटियों में स्वाद है माँ के प्यार का
और माँ में स्वाद है उसकी ममता का

8 comments:

  1. दोनों ही आग में तपकर निखरे हैं
    बहुत गहरे एहसास हैं
    सुन्दर .. बहुत सुन्दर रचना

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  2. सुन्दर प्रस्तुति....आभार

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  3. वाह! अति उत्तम!

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  4. dono hi aatma ko tript kartin hain........u touched my soul....

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