आग की लपटों के बीच
गुब्बारे की तरह फूलती रोटियां
और उस आंच की तपन से
लाल होता माँ का चेहरा
दोनों ही आग में तपकर निखरे हैं
दोनों ही चूमने लायक है
क्योंकि रोटियों में स्वाद है माँ के प्यार का
और माँ में स्वाद है उसकी ममता का
गुब्बारे की तरह फूलती रोटियां
और उस आंच की तपन से
लाल होता माँ का चेहरा
दोनों ही आग में तपकर निखरे हैं
दोनों ही चूमने लायक है
क्योंकि रोटियों में स्वाद है माँ के प्यार का
और माँ में स्वाद है उसकी ममता का
bahut sundar bhaav
ReplyDeleteदोनों ही आग में तपकर निखरे हैं
ReplyDeleteबहुत गहरे एहसास हैं
सुन्दर .. बहुत सुन्दर रचना
सुन्दर प्रस्तुति....आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeleteवाह! अति उत्तम!
ReplyDeletebadhaao ek swadisht roti
ReplyDeletekya baat haiu...bahut pyari rachna hai...
ReplyDeletedono hi aatma ko tript kartin hain........u touched my soul....
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