ज़िंदगी के साथ रिश्ता यूँ निभाना चाहिए
करके दिल का बोझ हल्का मुस्कुराना चाहिए
रूठ जाने पर निकल जाना अकेले दूर तक
रात गहराने से पहले लौट आना चाहिए
गैर मुमकिन है की हर झोकें में हो ठंडी हवा
खुश्क से पत्तों के संग कुछ धूल आना चाहिए
हर किसी के साथ हैं दुश्वारियों के सिलसिले
हल न हो पाएं जो मसले, भूल जाना चाहिए
- रंजना डीन
सुन्दर ग़ज़ल.
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 30 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसुंदर रचना
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