Thursday, September 18, 2014

ज़िंदगी के साथ रिश्ता यूँ निभाना चाहिए 
करके दिल का बोझ हल्का मुस्कुराना चाहिए 

रूठ जाने पर निकल जाना अकेले दूर तक 
रात गहराने से पहले लौट आना चाहिए 

गैर मुमकिन है की हर झोकें में हो ठंडी हवा 
खुश्क से पत्तों के संग कुछ धूल आना चाहिए 

हर किसी के साथ हैं दुश्वारियों के सिलसिले 
हल न हो पाएं जो मसले, भूल जाना चाहिए 

- रंजना डीन 

3 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 30 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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