Wednesday, September 17, 2014

उन्हें हम छोड़ आये हैं समुन्दर के किनारे 

जिन्हे देखा था शामिल कश्तियाँ डुबोने में

बारिशें ज़ोर की आने को हैं, वो तनहा हैं

कश्ती कागज़ की हम भी बांध आये कोने में


- रंजना डीन

1 comment: