Monday, December 19, 2011

खुशियाँ


खुशियाँ यूँ ही दस्तक नहीं देती
किसी के दरवाज़े पर
वो आती है
बहुत लम्बा सफ़र तय करके
चलते फिरते उठते बैठते
जाने पहचाने और अनजाने लोगो के बीच
कभी कभी हम बाँट आते है
थोड़ी सी ख़ुशी
कभी कभी जान बूझ कर
तो कभी अनजाने मे
और वो बांटी हुई ख़ुशी
जब निकलती है आपने सफ़र पर
तो पलट कर दस्तक ज़रूर देती है
ये बताने के लिए
जो बांटा है वो कभी न कभी
आपके हिस्से में आयेगा ज़रूर

9 comments:

  1. जो बांटा है वो कभी न कभी
    आपके हिस्से में आयेगा ज़रूर
    शत प्रतिशत सहमत आपसे बहुत सुंदर भाव बधाई

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  2. जो बांटा है वो कभी न कभी
    आपके हिस्से में आयेगा ज़रूर

    ....बहुत सटीक और सुंदर प्रस्तुति...

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  3. बेहतरीन रचना - चेहरे पर मुस्कान आ गई

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  4. आपकी प्रस्तुति बहुत ही सुन्दर और प्रेरक है,रंजना जी.

    अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
    आपका हार्दिक स्वागत है.

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  5. वाह ....बहुत खूब

    कल 21/12/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, मेरी नज़र से चलिये इस सफ़र पर ...

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  6. वाह वाह...
    बहुत बहुत खूबसूरत कविता...
    कविता पढते ही आपका ब्लॉग फोलो कर लिया कि भविष्य में आपकी लिखी कोई रचना पढ़ने से चूक ना जाऊं...
    बधाई.

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  7. जो बांटा है वो कभी न कभी
    आपके हिस्से में आयेगा ज़रूर ...

    बहुत खूब .. काश सभी यही सोचें और खुशियाँ बांटना सीख लें .... सार्थक चिंतन ...

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  8. खूबसूरत अभिव्यक्ति

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