Tuesday, December 6, 2011

ख्वाहिशों के बीज


कुछ दिन पहले बोये थे
कुछ सपनो के बीज
ख्वाहिशों की मिट्टी में...
उम्मीद की ओस से नाम हुई मिट्टी में
कोपलें भी फूटने लगी थी
पर आज की धूप शायद
कुछ ज्यादा ही तेज़ थी
मिट्टी की नमी के साथ साथ
कोपलों को भी सुखा गयी...
पर कोई बात नहीं
फिर उम्मीदें जागेंगी
फिर खाव्हिशों के बीज बोये जायेंगे
ओस का गिरना और धूप का आना भी
यूँ ही जारी रहेगा
लेकिन....
कभी तो धूप
ओस की नमी से हारेगी
और नन्ही कोपलें बाज़ी मारेंगी...:)

19 comments:

  1. उम्मीद बनाये रखने की प्रेरणा देती अच्छी प्रस्तुति

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  2. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 08 -12 - 2011 को यहाँ भी है

    ...नयी पुरानी हलचल में आज... अजब पागल सी लडकी है .

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  3. पर कोई बात नहीं
    फिर उम्मीदें जागेंगी
    फिर खाव्हिशों के बीज बोये जायेंगे...yahi to zindagi hai...

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  4. वाह! बहुत सुन्दर.
    आपके जज्बे को सलाम.
    संगीता जी की हलचल से यहाँ आना हुआ.
    बहुत अच्छा लगा.

    मेरे ब्लॉग पर आपका आना भी मुझे अच्छा लगेगा.

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  5. खूबसूरत अहसासों के साथ बेहतरीन शब्‍द संयोजन ।

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  6. आशापरक संदेश देती रचना ......

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  7. आशा का संचार है इस सुन्दर भाव मय कविता में ... कर्म जरूर सफल होता है ...

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  8. बहुत सुन्दर रचना

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  9. भावों से नाजुक शब्‍द.

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  10. aasshaye sab kuchh kar sakti hain bas jarurat inhe pani diye rakhne ki hai.

    sunder kriti.

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  11. man me vishwash jagati
    sundar sandesh deti rachana hai..

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  12. विस्वास जगाती प्रेरक रचना सुंदर पोस्ट ,...बधाई
    मेरे पोस्ट में आइये स्वागत है,...

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  13. Namaskaar..

    Jeevan path par badhna hai sabko...
    Par rakhna man main vishvas...
    Jatil paristhiti main bhi hardam...
    Rakhna door kshitij ki aas...

    Ashaon ki bhavabhivyakti...

    Deepak Shukla...

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  14. कभी तो धूप
    ओस की नमी से हारेगी
    और नन्ही कोपलें बाज़ी मारेंगी...:)

    आशा का संचार करती बहुत ही बेहतरीन रचना ! सचमुच इसी आशा में जीवन बीत जाता है कि 'कभी तो धूप ओस की नमी से हारेगी और नन्हीं कोपलें बाज़ी मारेंगी ! ' आमीन !

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  15. फिर खाव्हिशों के बीज बोये जायेंगे
    ओस का गिरना और धूप का आना भी
    यूँ ही जारी रहेगा
    लेकिन....
    कभी तो धूप
    ओस की नमी से हारेगी
    और नन्ही कोपलें बाज़ी मारेंगी...:)

    Bahut Bahut Sunder...

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  16. बेहद सुन्दर....
    मुझे बहुत पसंद आई आपकी कविता.

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  17. आशाओं और उम्मीदों की कविता। बढ़िया!

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  18. Hello Ranjana ji,

    Aapki har ek kavita bahut hi pyari hain.
    padh kar bahut anand aaya.

    Kuchh kavitaayein aap hum se bhi share karengi to khushi hogi.

    Dhanyawaad.

    Priyanka Gaun
    http://www.poemocean.com

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