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मेरी कभी भी याद न आये
कभी बरसे जो आँखों से
तो सावन थाम लेना तुम
कोई दुश्मन जो याद आये
तो मेरा नाम लेना तुम
यूँ करना नफरतें मुझसे
की सारी याद बह जाये
बचे न नर्म सा कुछ भी
सुलगती आंच रह जाये
की शायद ये तरीका
तुमको कुछ राहत दिला पाए
तुम्हे भूले से फिर मेरी
कभी भी याद न आये
बेहतरीन
ReplyDeleteअतिसुन्दर बधाई
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति ....समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDeleteकोई दुश्मन जो याद आये
ReplyDeleteतो मेरा नाम लेना तुम
वाह ..बहुत खूब ..सुन्दर
पर कौन है जो उनको भूलना चाहता है ...
ReplyDeleteअच्छी कविता ...
भावपूर्ण ...
ReplyDeleteउम्दा रचना...
ReplyDeleteबेहतरीन रचना है ..
ReplyDeleteयूँ करना नफरतें मुझसे
की सारी याद बह जाये
बचे न नर्म सा कुछ भी
सुलगती आंच रह जाये
अद्भुत
बेहतरीन नज्म के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया.
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