जितनी ऑंखें देखी सब एक जैसी थीनम, मायूस, उदास, थकी सी, जागी सीमैंने झाँका जब भी औरत के अन्दरऊपर से कुछ, अन्दर बड़ी अभागी सी
रंजना जी, आपने बरबस रुला ही दिया आज। बस इतना ही कह सकता हूँ।
ओह!
Ranjana ji, bahut uttam...char panktiyon mein sargarbhit baatein ...behtareen...
MAY BE...upar se kuch,andder badi "AKELI" se....u touched my heart toooooooo....
बेहद भावभीनी रचना।
नम ...मायूस उदास थकी और जागी सी ...सच औरत के शब्द के समानार्थी लगते है ....सुन्दर अभिव्यक्ती
bahut khoob sahityasurbhi.blogspot.com
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marmsparshee rachana jo man ko bhigo gayee .
रंजना जी, आपने बरबस रुला ही दिया आज। बस इतना ही कह सकता हूँ।
ReplyDeleteओह!
ReplyDeleteRanjana ji, bahut uttam...char panktiyon mein sargarbhit baatein ...behtareen...
ReplyDeleteMAY BE...
ReplyDeleteupar se kuch,andder badi "AKELI" se....
u touched my heart toooooooo....
बेहद भावभीनी रचना।
ReplyDeleteनम ...मायूस उदास थकी और जागी सी ...सच औरत के शब्द के समानार्थी लगते है ....सुन्दर अभिव्यक्ती
ReplyDeletebahut khoob
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