Sunday, November 7, 2010

विजय पर्व



पिघली हुई मोमबत्ती
बुझ चुके दिए में भी
है कुछ बात

क्योंकि बता रहे हैं ये
की कितनी इमानदारी से
इन्होने बितायी पूरी रात

रौशनी बनाये रखने की कोशिश में
रात भर खुद को जलाते रहे
पठाखो की आवाज़ों पर थरथराते रहे
हवा के थपेड़ों को सह कर भी मुस्कुराते रहे

हाँ ये सच है की भगवान राम ने एक बार...
लंका पर विजय पाई थी,
पर ये तो न जाने कबसे जीतते आ रहे है

तो आइये मनाते है इनका विजय पर्व
शुभ दीपावली

6 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...
    आपको, पारिवारिक सदस्यों, वरिष्ठजनों सहित दीपावली पर्व की शुभकामनाएँ

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  2. धन्यवाद संजय जी आपको भी दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं

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  3. सन्नाटे को सुनने की कोशिश करना

    रोज़ नया कुछ बुनने की कोशिश करना

    क्या गिला मुझको , मेरे पंख न होना

    सपनो में ही उड़ने की कोशिश करना

    खिलते हुए फूल जलता हुआ दीया
    आपके ब्लोग पर दीवाली की सौगात
    आंखों में नमी मगर करते हैं रोशनी
    नित नये रंग चुनें आपके जज़बात

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