छोटी छोटी ख्वाहिशें लिख लेती थी
कागज़ की रंग बिरंगी पुर्चियों पर
और लिखते लिखते जमा होता गया
पुर्चियों का खज़ाना
पर आज की बारिश न जाने
क्या कह गयी धीरे से कानो में
और उन पुर्चियों से
नन्ही नन्ही नाव बनाकर
बहा दी मैंने खिलखिलाते पानी में
ये सोच कर की
ख्वाहिशें और सपने
समेट कर रखने से नहीं
आजाद छोड़ देने से पूरे होते हैं
और उन रंग बिरंगी पुर्चियों से
बनी इन्द्रधनुषी नावें
चल पड़ी हैं अपनी अपनी धाराएँ
अपनी अपनी मंजिले तलाशने
आज ख्वाहिशें और सपने आजाद हैं
और लहरों का पानी रंगीन
शायद मिल जाये उन्हें
अपना आसमान, अपनी ज़मीन.
कागज़ की रंग बिरंगी पुर्चियों पर
और लिखते लिखते जमा होता गया
पुर्चियों का खज़ाना
पर आज की बारिश न जाने
क्या कह गयी धीरे से कानो में
और उन पुर्चियों से
नन्ही नन्ही नाव बनाकर
बहा दी मैंने खिलखिलाते पानी में
ये सोच कर की
ख्वाहिशें और सपने
समेट कर रखने से नहीं
आजाद छोड़ देने से पूरे होते हैं
और उन रंग बिरंगी पुर्चियों से
बनी इन्द्रधनुषी नावें
चल पड़ी हैं अपनी अपनी धाराएँ
अपनी अपनी मंजिले तलाशने
आज ख्वाहिशें और सपने आजाद हैं
और लहरों का पानी रंगीन
शायद मिल जाये उन्हें
अपना आसमान, अपनी ज़मीन.
Hi..
ReplyDeleteBahut sundar bhav..
Deepak..
और उन पुर्चियों से
ReplyDeleteनन्ही नन्ही नाव बनाकर
बहा दी मैंने खिलखिलाते पानी में
ये सोच कर की
ख्वाहिशें और सपने
समेट कर रखने से नहीं
आजाद छोड़ देने से पूरे होते हैं!!!!!!!!!
bahut sunder bhav, arth purn rachna. badhai .
ये कविता काल्पनिक है है ,सपनों और ख्वाहिशों को उन्मुक्त छोड़ देने वाले इस जहाँ में नहीं होते ,बस चले तो दूसरों के सपनों और ख्वाहिशों को भी लोग सलाखों में जकड दे ,सच से बेहद दूर होने की वजह से कविता के एक एक शब्द गूंगे हैं और हम इन्हें कराहते सुन रहे हैं ,हाँ आप खुद को तसल्ली दे सकती हैं |
ReplyDeleteखिलखिलाते पानी में ।
ReplyDeleteमौन ध्वन्यात्मकता ।
प्रशंसनीय ।
बहुत ही सुन्दर!
ReplyDeletekitna pyara likha hai aapne ...ekdum komal sa ahsaas hota hai ....
ReplyDeleteये सोच कर की
ReplyDeleteख्वाहिशें और सपने
समेट कर रखने से नहीं
आजाद छोड़ देने से पूरे होते हैं.
virach sach!!!
nice post......congratulation.....