Thursday, February 23, 2012

रात


कजरारी सी काली रातें
प्यार भरी कुछ मीठी बातें
कुछ तुम कहना, कुछ मै बोलू
रात सुनहरी हो जाएगी

होठों की नरमी को छूकर
जुगनू सी आँखों में खोकर
बाँहों में मुझको भर लेना
रात फिसल कर खो जाएगी

हाथों में जब हाथ थामना
जीवनभर का साथ थामना
रात भले कितनी काली हो
नर्म चांदनी बो जाएगी

15 comments:

  1. बेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति

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  2. हाथों में जब हाथ थामना
    जीवनभर का साथ थामना
    रात भले कितनी काली हो
    नर्म चांदनी बो जाएगी ……………सकारात्मकता को इंगित करती शानदार रचना दिल छू गयी।

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  3. prabhu aisee kaamno avashy pooraa kare

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  4. हाथों में जब हाथ थामना
    जीवनभर का साथ थामना
    रात भले कितनी काली हो
    नर्म चांदनी बो जाएगी

    ....वाह! सकारात्मक सोच लिए बहुत भावमयी प्रस्तुति...

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  5. बहुत सुंदर प्रेममयी भावाव्यक्ति ,बधाई

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  6. Wah! Behtareen....Bahut sundar....

    http://www.poeticprakash.com/

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  7. वाह!!वाह!!वाह!!!

    बहुत सुन्दर...
    क्या प्रवाह है ...
    बह गए बिलकुल..

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  8. Bahut sundar aur gehri abhivyakti.

    हाथों में जब हाथ थामना
    जीवनभर का साथ थामना
    रात भले कितनी काली हो
    नर्म चांदनी बो जाएगी

    Ishwar kare aapke shabdo mai mohabbat hamesha aisi hi khoobsurati leti rahe.

    -Shaifali

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  9. सुन्दर और सार्थक सृजन, बधाई.

    आपका मेरे ब्लॉग meri kavitayen की नवीनतम प्रविष्टि पर स्वागत है.

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  10. सुंदर भावाव्यक्ति, बधाई...

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  11. होठों की नरमी को छूकर
    जुगनू सी आँखों में खोकर
    बाँहों में मुझको भर लेना
    रात फिसल कर खो जाएगी

    ऐसी रात शायद कभी ख़त्म न हो ..
    बहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई !

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