skip to main |
skip to sidebar
नज़र बचा कर भाग चलो
या कर लो लड़ने की तैयारी
रात और दिन जैसा जीवन
गम आयेगा बारी बारी
एक मुसीबत ख़तम हुई तो
एक हो गयी फिर से जारी
माना वो लम्हा है मुश्किल
जाना वो पल कितना भारी
जीत कहा जाएगी बचकर
गर होगी पूरी तैयारी
उतनी ही चटकीली सुबह
रात कटी हो जितनी काली
Superb !!!
ReplyDeletewww.poeticprakash.com
आज 29- 10 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
यही ज़िंदगी है ..
ReplyDeleteवाह आशा का संचार करती सुन्दर रचना।
ReplyDeletevery nice...
ReplyDeleteजितने खूबसूरत शब्द हैं उनते ही उन्नत भावों से सजाया है. शब्द नहीं हैं मेरे पास बयान करने के लिए
ReplyDeletefir wo hi baat ....sansaar ke kisi bhi diye mein wo roshni nahin jiske ujale se tumhen ujala mile.........tum suraj ho meri moti...........
ReplyDelete