Monday, March 15, 2010

ममता की ममता

उसका नाम ममता
मासूम सी सूरत
एक सामाजिक संस्था से जुडी
वो करती है सामाजिक सुधार की बातें
खाती है अक्सर बहुत सी कसमें
करती है बहुत से वादे

तारे ज़मीन पर फिल्म देख कर वो बहुत रोई
बताया उसने वो पूरी रात न सोयी
लेकिन गरीब रिक्शे वालों से वो
एक दो रुपयों के लिए बहुत बहस करती है
और कहती है की वो गरीबों के हक के लिए बहुत लडती है

दोस्ती उन्ही से करती है
जिनके एकाउंट में पैसा है
इससे कोई फरक नहीं पड़ता
की वो इन्सान कैसा है

बच्चों की मासूमियत नहीं
उनका स्टेटस देख कर उन्हें गोद में उठाती है
जिसमे होती है रईसी की महक
बस उन्हें देख कर मुस्कुराती है

ठण्ड से थरथराती शाम में
जब एक मेहमान का बच्चा उसकी रजाई में सिमट आया
क्या मुझे अपने रूम में भी Privacy नहीं
उसे ये कह कर भगाया

आज वो बनी है माँ
सोच रही हूँ क्या उससे मिलने जाऊं
शायद उस ममता में...
अब सचमुच मुझे कही ममता दिख जाये

4 comments:

  1. आज वो बनी है माँ
    सोच रही हूँ क्या उससे मिलने जाऊं
    शायद उस ममता में...
    अब सचमुच मुझे कही ममता दिख जाये

    --शायद!! मातृत्व जागा हो!

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  2. accha kataksh nakab posh logo par.............

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  3. आज वो बनी है माँ
    सोच रही हूँ क्या उससे मिलने जाऊं
    शायद उस ममता में...
    अब सचमुच मुझे कही ममता दिख जाये
    क्या कहूँ एक माँ का दर्द खूब समझ सकती हूँ

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  4. bahut sundar ky abaat hai main to aap ka kayal ban gaya hoon!!

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