तुम जब दिलो को तोड़ने की बात करते हो... समझो खुदा को छोड़ने की बात करते हो... ये वो लहर जिसका नही मुमकिन है रुक पाना... तुम क्यों समुन्दर मोड़ने की बात करते हो?
सन्नाटे को सुनने की कोशिश करती हूँ...
रोज़ नया कुछ बुनने की कोशिश करती हूँ...
नहीं गिला मुझको की मेरे पंख नहीं है....
सपनो में ही उड़ने की कोशिश करती हूँ.
punah khub bhalo...
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