पेड़ से टूट कर गिरे
सूखे पीले पत्ते की तरह
मै ज़मीन पर पड़ी
हवा के झोंको से थरथराती
कांपती और सहम कर
हवा के थपेडों से खिसक कर
किसी कोने में सरक जाती
और सोचती की किसी दिन
कोई लम्हा चरमरा कर चला जाएगा
मेरी इस कमज़ोर सी पहचान को
लेकिन किसे पता था
की किसी कोई प्यार से भरा हुआ दिल
और नर्म सी हथेलियों से मुझे उठाकर
रख देगा किसी रोमांटिक सी नोवेल के बीच
और मै उन प्यार भरे लफ्जों के सहारे
फिर से हरी हो जाउंगी .
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gosh!!!! u so romantic...BEAUTIFUL..!!!ishpreet
ReplyDeletebhai .......khub bhalo....
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया।
ReplyDelete-----------
आपकी इस पोस्ट की हलचल आज यहाँ भी है
बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
लेकिन किसे पता था
ReplyDeleteकी किसी कोई प्यार से भरा हुआ दिल
और नर्म सी हथेलियों से मुझे उठाकर
रख देगा किसी रोमांटिक सी नोवेल के बीच
और मै उन प्यार भरे लफ्जों के सहारे
फिर से हरी हो जाउंगी .
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
bhaut hi sundar....
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति बधाई |
ReplyDeleteआशा