Thursday, March 28, 2013

सलीके कौन रखे याद खुराफातों में 
जिंदगी बीतती हैं चंद मुलाकातों में 
चाँद भी झाँक न पाया था जिसकी खिड़की में 
वो मच्छर रोक न पाया कभी भी रातों में...:)...;)...:D

4 comments:

  1. वाह वाह जी वाह वाह ! भई बहुत अच्छे । जारी रहिए जी

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  2. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (30-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

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  3. बहुत सुन्दर....होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।।
    पधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...

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