Friday, December 7, 2012

सुकून तुझे तलाशते तलाशते 

सुकून तुझे तलाशते तलाशते 
बीती जा रही है उम्र 
पर तुम हमेशा पहुँच से बाहर 

तुम्हे पाने की चाहत में 
बदलती गयी जीने का ढंग 
रख दी हसरतें एक कोने में 

निभाती गयी हर हालात 
संभालती रही हर मुश्किल 
और फिर भी मुस्कुराना नहीं छोड़ा 

कुछ न सही तो कम से कम 
मेरी मुस्कान देखने के लिए ही 
चले आओ मेरे पास 

जब आओगे तो शायद 
मेरी मुस्कराहट देख कर 
तुम्हे भी कुछ सुकून मिल जाये 

तब तुम देखोगे दर्द में डूबी हुई
मुस्कान भी खूबसूरत होती है
मोनालिसा की पेंटिंग की तरह 


6 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ लाजवाब प्रस्तुति बधाई स्वीकारें
    अरुन शर्मा
    www.arunsblog.in

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  2. बहुत ही सुन्दर व भावपूर्ण रचना है बधाई स्वीकारें।

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  3. वाह...
    खूबसूरत....

    अनु

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  4. निभाती गयी हर हालात
    संभालती रही हर मुश्किल
    और फिर भी मुस्कुराना नहीं छोड़ा

    यही सच्ची जीवटता है ..सुन्दर रचना.

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  5. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 30 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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