Friday, May 18, 2012


तेरी यादों के जंगल में
कभी सोये, कभी खोये

कभी खुल के हँसे हम
और कभी छुप छुप के हम रोये

कभी कागज़ की कश्ती पर
सफ़र कर आ गए वापस

कभी हंस कर उदासी के
सभी नमो निशान धोये 

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