Sunday, January 29, 2012

चाहत के दरख्त


चाहत के दरख्तों पर
कुछ ख्वाब उगे हैं

कुछ कच्चे हैं, खट्टे हैं
कुछ बढ़ के झुके हैं

कुछ टूट कर गिरे हैं
उगने के साथ ही

कुछ हैं अभी डाली पर
बढ़ने को रुके हैं

कुछ पत्तियों से हल्के
झोकों से ढह गए

कुछ ओस में भीगे और
बारिश में बह गए

कुछ ने रुलाया इतना
की नम हुआ मौसम

कुछ लब बिना हिलाए
हर बात कह गए

कुछ झेल कर तपिश को
मुरझाने लगे हैं

कुछ मुस्कुरा कर सारे
तूफ़ान सह गए

18 comments:

  1. Bahut khoob ... Is chatat ke darakht ko poste rahiye ... Kisi kisi ko naseeb hota hai ...

    ReplyDelete
  2. चाहतों के दरख़्त हों तो बसंत आएगा ही

    ReplyDelete
  3. बहुत बहुत सुन्दर...
    लाजवाब!!

    ReplyDelete
  4. //कुछ हैं अभी डाली पर
    बढ़ने को रुके हैं

    //कुछ लब बिना हिलाए
    हर बात कह गए

    bahut khoobsoorat rachna.. bahut bahut khoob..

    kabhi waqt mile to mere blog par bhi aaiyega.. aapka swagat hai.. :)
    palchhin-aditya.blogsopt.com

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर ..ख्वाब ऐसे ही होते हैं ..कुछ परवान चढते हैं तो कुछ झर जाते हैं .

    ReplyDelete
  6. वाह चाहत के दरख्त पर ख्वाबों की खूब मचान लगायी है।

    ReplyDelete
  7. वाह!!!बहुत खूब लाजवाब प्रस्तुति ....

    ReplyDelete
  8. बहुत ही बढिया।

    ReplyDelete
  9. वाह ---!
    बहुत ही सुन्दर भाव के साथ आपने रचनाकारी की है!
    --
    चित्र भी बहुत सुन्दर है!
    बिल्कुल रचना के अनुरूप!

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर सृजन , सुन्दर भावाभिव्यक्ति .

    मैं आपके ब्लॉग को फालो कर चुका हूँ, अपेक्षा करता हूँ कि आप मेरे ब्लॉग"MERI KAVITAYEN" पर पधारकर मुझे भी अपना स्नेह प्रदान करेंगे .

    ReplyDelete
  11. आपके समर्थन और शुभकामनाओं का ह्रदय से आभारी हूँ.

    ReplyDelete
  12. bhaut hi sundar rachna hai..
    nice one..

    ReplyDelete
  13. बेहद प्यार और नरमाई से लिखी हुई कविता.
    मैंने इसे अपने ईमेल से अपने कुछ दोस्तों के साथ आपके ब्लॉग नेम के साथ शेयर की है.
    -शैफाली

    ReplyDelete
  14. Touching... Thanks to Shaifali for sharing this...

    ReplyDelete
  15. Thanks Shaifali....I have read your blog also...its nice..:)..now i m also your follower.

    ReplyDelete