बहुत खुशकिस्मत है वो धूप ,
जो चूमती है मेरे घर के आँगन को …
बहुत खुशकिस्मत है वो हवा ,
जो फूँक मरकर उडाती है मेरे घर के परदों को …
बहुत खुशकिस्मत है वो बारिश ,
जो भिगोती है मेरे घर के फर्श , दीवारों और पेडों को …
क्योंकि ज़मीन पर जन्नत को चूने का मौका ,
हर किसी को नही मिलता .
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Very Nice Mam... Keep writing.. -Yash
ReplyDeletesoch ki jannat........yahi hai ...hausla ..
ReplyDeletealakh jali rahe