Saturday, March 13, 2010

आज है छुट्टी

आज है छुट्टी, मन करता है बिस्तर में ही पड़े रहो
हो रिमोट टीवी का साथ में, एक जगह पर गड़े रहो
कोई बढ़िया डिश खाने की, लाकर कोई सर्व करे
छुट्टी बीते यूँ सुकून से, उस छुट्टी पर गर्व करें
अलसाये से पड़े रहे, कभी इस करवट कभी उस करवट
आँखे बंद, खोल कर बैठे कल्पनाओं के सारे पट
बाकि सारे दिन हफ्ते के घडी की सुइयों साथ बंधे
हम बुनते जीवन का स्वेटर इसकी सिलाइयों में गुंधे
चलो उधेड़े कुछ फंदों को, धागों को लहराने दे
क्यों हर पल को नियम कायदे, खुशियों को फहराने दे

3 comments:

  1. bacche chote the to din kaise naikal jata tha pata hee nahee chalta tha.mujhe talash rahtee thee ki kab vo samay aaega ki dincharya meree marjee se chalegee aur ab umr ke ise padav par jab betiya apane apane ghar kee ho gayee mai vo beete samay talash karatee hoo.jindagee bas aaj me jeene ka naam hai.....:)
    Bahut pyaree abhivykti lagee......

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  2. महिलाओं के लम्बे और फिट रहने का राज़ है अनवरत-अनथक काम करना आप एक दिन में ही बोर हो जाएगी आराम करके......
    प्रणव सक्सैना
    amitraghat.blogspot.com

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  3. क्यों हर पल हो नियम कायदे ...
    खुशियों को फहराने दो ...
    बहुत सही कहा ...अपना काम तो अपने मूड के हिसाब से चलता है ...मगर कई बार नुकसान हो जाता है ..तो फिर लगता है कभी कभी नियम कायदे से भी चल लेना चाहिए ...:):)

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