Friday, December 25, 2009

खुशियों के लम्हों की कीमत मुझसे पूछो...
गम पल में कैसे आते है मैंने देखा,
हर मुस्कान के पीछे का सच ख़ुशी नहीं है,
झूठ बोलती है अक्सर वो टेढ़ी रेखा.

5 comments:

  1. सच्चाई है
    छुपाने से दर्द कब छुपा है भला

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  2. बहुत कुछ कहते हुवे छोटी रचना .... दर्द की लकीर है ..........

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  3. एक रंग यह भी:
    मेरी खुश्क आँखों पे शिकवा न कर
    आंसू यूं भी बहाए जाते हैं !

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